Sunday, December 28, 2008

choti behna

ए छुटकी...
पता है..जब तू आई थी अपने घर पर
बावला हो गया था तुझे छूने को
पर मैं भी बच्चा ही तो था
माँ ने धीरे से मेरा हाथ तुझसे छुल्वाया था
लेकिन मौका पाकर तुझे भर लेता था
मैं अपनी नन्ही गोद में
टुकुर टुकुर मुझे देखती तू
धीरे से हस पड़ती थी....

और तेरे स्कूल का पहला दिन
रोई ,सहमी सी तू
मेरे एक हाथ में तेरा बस्ता
और दूसरे हाथ में तेरी ऊँगली
एक बात बताऊ तुझे....
भले ही मैं तुझसे लड़ता था
लेकिन
तेरा बस्ता उठाना मुझे
बहुत अच्छा लगता था...

राखी बंध्वाता था जब भी
तुझे बहुत सताता था
तब कहीं जाकर पैसे देता था...
लेकिन
मन करता था काश
दुनिया की सारी दौलत
तुझे उपहार में दे पाता...

कैसे भूल जाऊ पगली कि
मेरी कितनी गलतियों को
छुपाया है तूने
जाने कितनी बार डांट पड़ने से
बचाया है तूने
अपनी सहेली से अगर न मिलवाती
तो कैसे होती वो आज तेरी भाभी...

एक बात और कहूं....
मुझे छेड़ना मत
मैंने कहा था तुझसे कि
नहीं रोऊंगा तेरी विदाई में
सब झूठ था छुटकी..
देख आंसू ख़तम ही नहीं होते मेरे
तीन दिन से हर रात बस रो ही रहा हूँ
न माने तो पूछ ले अपनी भाभी से...


भले ही कितना भी झगडा हूं तुझसे
पर याद रखना छुटकी की बच्ची
कि बहुत प्यार करता है तुझे
तेरा ये बड़ा भाई....
और चाहता है हरदम
बस तेरी खुशियाँ और भलाई...

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